हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और बाढ़ की मार, मौसम की स्थिति बनी रहेगी खराब, हालात सुधरने में लगेगा वक्त
Jul 1, 2025, 4:00 PM | Skymet Weather Teamहिमाचल प्रदेश इन दिनों खराब मौसम की चपेट में है। मानसून की तीव्रता और नदियों-नालों के उफान ने सैलानियों को फंसा दिया है और राज्य के कुछ हिस्सों में बुनियादी ढांचा बर्बाद हो गया है। बादल फटने, भूस्खलन, जलभराव और भारी बारिश की घटनाओं ने सामान्य जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। राज्य के आपदा नियंत्रण केंद्र ने भूस्खलन संभावित स्थानों की पहचान की है, जिनमें सांचोल क्षेत्र को सबसे संवेदनशील घोषित किया गया है। कांगड़ा जिले का मुख्यालय धर्मशाला और शिमला जिले का जतोग भी हाई रिस्क ज़ोन में शामिल किए गए हैं।
मंडी में भारी बारिश, ब्यास नदी उफान पर
मंडी जिले में बीते 24 घंटों में 217 मिमी भारी बारिश हुई है, जिसे वर्षा की बाढ़ कहा जा सकता है। इससे ब्यास नदी उफान पर है, जिससे इसके निचले इलाकों में खतरा बढ़ गया है। पंडोह डैम में पानी का भारी प्रवाह होने के कारण करीब 1.5 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जिससे स्थिति और बिगड़ गई है। पर्यटकों को एहतियातन सुरक्षित स्थानों पर बनाए गए अस्थायी आश्रयों में पहुंचाया गया है, जब तक मौसम सामान्य नहीं हो जाता।
कई कारणों से बढ़ा मौसम का कहर
राज्य में भीषण मौसम की स्थिति एक साथ कई मौसमी तंत्रों के सक्रिय होने के कारण उत्पन्न हुई है। दक्षिण-पश्चिम मानसून ने हाल ही में पहाड़ी राज्यों में दस्तक दी है और पश्चिमी विक्षोभ ने इस मानसूनी तीव्रता को और बढ़ा दिया है। इसके साथ ही मानसून ट्रफ की हिमाचल के करीब सक्रियता ने इस स्थिति को और विकराल बना दिया है। पहाड़ी भू-भाग की जटिलता ने राहत और बचाव कार्यों को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना दिया है। दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुंच में कठिनाई के कारण राहत कार्यों में बाधाएं आ रही हैं।
अगले 3-4 दिन तक बरकरार रह सकता है खतरा
राज्य के निचले और मध्यवर्ती पहाड़ी क्षेत्रों में आगामी 3–4 दिनों तक खराब मौसम बना रह सकता है। पहाड़ों की गीली ढलानों पर भूस्खलन, पत्थरों और बोल्डरों के गिरने का खतरा बना रहेगा। नदियों और अन्य जल स्रोतों के किनारे बसे इलाकों में भी खतरा बढ़ जाएगा। बारिश रुकने के बाद भी, ऊपरी क्षेत्रों में लगातार वर्षा के कारण नदियों और नालों में जलस्तर बना रहेगा, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है। जब तक मौसम पूरी तरह से सामान्य न हो जाए, तब तक राहत कार्यों और आवाजाही में अत्यधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है।