Monsoon 2025: मानसून जल्द पहुंचेगा दक्षिणी अंडमान सागर, तेजी से आगे बढ़ने की संभावना

By: skymet team | Edited By: skymet team
May 12, 2025, 8:00 PM
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भारतीय महासागर के भूमध्यरेखीय क्षेत्र और दक्षिण बंगाल की खाड़ी (BOB) के पास हवाओं का बहाव तेज हो गया है। दक्षिण-मध्य बंगाल की खाड़ी में एक छोटा मौसमीय सिस्टम बनने लगा है, जिससे हवाएं और तेज होंगी और उनका क्षेत्र व ताकत दोनों बढ़ेंगे। इसी के चलते थाईलैंड के तटीय क्षेत्रों जैसे फुकेत (Phuket) और ताकुआ पा (Takua Pa) में पिछले 24 घंटों में तीन अंकों की भारी बारिश दर्ज हुई है। अगले कुछ दिनों में और अधिक बारिश होने की संभावना है। नानकॉरी (Nancowry ) और हट बे (Hut Bay ) जैसे अंडमान द्वीपों में भी मध्यम बारिश हुई है। इससे मानसून की शुरुआत की अनुकूल परिस्थितियाँ बन रही हैं।

मानसून की सामान्य प्रगति की समय-सीमा

मानसून की धारा आमतौर पर 15 मई तक दक्षिण अंडमान सागर और बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्व में पहुँच जाती है। यह आगे बढ़कर 22 मई तक उत्तरी अंडमान सागर और दक्षिण-मध्य बंगाल की खाड़ी तक पहुँच जाती है। अगला पड़ाव, पश्चिम में श्रीलंका और पूर्वी दिशा में दक्षिण अराकान तट, दक्षिण-पूर्वी बंगाल की खाड़ी से होते हुए 26 मई को निर्धारित है। मुख्य भूमि केरल में मानसून का आगमन 01 जून को होगा, जिसमें एक सप्ताह का मानक विचलन है।

इस बार समय से पहले दस्तक दे सकता है मानसून

दक्षिण अंडमान सागर में मानसून अगले 48 घंटों में समय से पहले प्रवेश कर सकता है। उत्तर अंडमान सागर में भी यह जल्दी पहुंच सकता है। हालांकि, श्रीलंका की तरफ इसका आगे बढ़ना थोड़ा कमजोर रह सकता है। हालांकि, अरब सागर वाली शाखा 25 मई के आसपास तेज हो सकती है। लक्षद्वीप (मौसम देखें), मालदीव और कोमोरिन क्षेत्र में हवाओं का तेज बहाव इस शाखा को सक्रिय करेगा। इस बार मानसून केरल (मौसम देखें) में 1 जून से पहले पहुंच सकता है। ऐसा हुआ तो यह 2009 के बाद सबसे जल्दी मानसून आगमन होगा।

अंडमान में मानसून की शुरुआत का केरल से कोई संबंध नहीं

यह महत्वपूर्ण है कि अंडमान सागर में मानसून का प्रवेश केरल में इसके आगमन से जुड़ा नहीं होता। आमतौर पर, मानसून को अंडमान से केरल पहुंचने में करीब 10 दिन लगते हैं। लेकिन केरल में मानसून की जल्दी या देर से शुरुआत से यह तय नहीं होता कि पूरे मौसम का प्रदर्शन कैसा रहेगा। उदाहरण के तौर पर, 2009 में मानसून 23 मई को पहुंच गया था, जो पिछले 15 वर्षों में सबसे जल्दी था, लेकिन उस साल 78% LPA के साथ भारी सूखा पड़ा।साल 2009 एल-नीनो वर्ष भी था, जो मानसून पर बुरा असर डालता है।

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डिस्क्लेमर: यह जानकारी स्काइमेट की पूर्वानुमान टीम द्वारा किए गए मौसम और जलवायु विश्लेषण पर आधारित है। हम वैज्ञानिक रूप से सही जानकारी देने का प्रयास करते हैं, लेकिन बदलती वायुमंडलीय स्थितियों के कारण मौसम में बदलाव संभव है। यह केवल सूचना के लिए है, इसे पूरी तरह निश्चित भविष्यवाणी न मानें।

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