मध्य प्रदेश में मूसलाधार बारिश का अलर्ट, कई जिलों में जलभराव का खतरा, जानें पूरा मौसम अपडेट

By: skymet team | Edited By: skymet team
Jul 9, 2025, 5:00 PM
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मध्य प्रदेश में मूसलाधार बारिश

गंगीय पश्चिम बंगाल और उससे सटे भागों पर निम्न दबाव का क्षेत्र बना हुआ है, जो ऊपरी वायुमंडलीय स्तर तक फैला हुआ है। मानसून ट्रफ रेखा भी देश के मध्य भागों से गुजरते हुए इसी सिस्टम से होकर निकल रही है। इस सिस्टम के आगे एक वायुप्रवाह संगम क्षेत्र (कन्वर्जेंस ज़ोन) बना हुआ है, जिसने पहले छत्तीसगढ़, विदर्भ और दक्षिण-पूर्व मध्य प्रदेश में भारी बारिश करवाई थी। पिछले 24 घंटों के दौरान विदर्भ, छत्तीसगढ़ और पूर्वी मध्य प्रदेश का त्रिसंधि क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित रहा।

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नागपुर में इस सीजन की सबसे भारी बारिश

भारी बारिश वाले स्थानों में नागपुर में इस सीजन में अब तक की सबसे ज्यादा 202 मिमी बारिश हुई है। वहीं, ब्रम्हपुरी में 140 मिमी और छत्तीसगढ़ के माना में 61 मिमी बारिश हुई। इन क्षेत्रों में बारिश का सिलसिला जारी है, हालांकि अब मानसून की गतिविधियों का फोकस मध्य प्रदेश और राजस्थान की ओर बढ़ने की संभावना है।

धीरे-धीरे झारखंड और छत्तीसगढ़ की ओर बढ़ेगा सिस्टम

यह निम्न दबाव का क्षेत्र अगले दो दिनों में झारखंड और छत्तीसगढ़ की ओर धीरे-धीरे बढ़ेगा। इस दौरान हवा के घुमावदार बहाव का तीव्र संगम क्षेत्र 11 जुलाई को पूर्वी मध्य प्रदेश में सक्रिय हो जाएगा और फिर अगले 2-3 दिनों में राजस्थान की ओर बढ़ेगा। 11-12 जुलाई को मध्य प्रदेश में बहुत भारी बारिश का अनुमान है। जो 13-14 जुलाई को राजस्थान पहुंचेगी, जहां बारिश की तीव्रता थोड़ी कम हो सकती है।

किन-किन स्थानों पर रहेगा भारी बारिश और बाढ़ का खतरा?

इन तिथियों के दौरान भारी बारिश और स्थानीय बाढ़ का खतरा मध्य प्रदेश के मध्य और दक्षिण-पूर्वी जिलों में बना रहेगा। जिन जिलों में भारी बारिश की संभावना है, वे नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, विदिशा, भोपाल, जबलपुर, उमरिया, सागर, दमोह, हरदा, देवास, अशोकनगर, शिवपुरी, श्योपुर, गुना, ग्वालियर, टीकमगढ़, दतिया, भिंड, मुरैना, रीवा, सतना और छतरपुर हैं।

वहीं, दक्षिण-पश्चिमी मध्य प्रदेश के जिले जैसे कि रतलाम, इंदौर, उज्जैन, धार, खरगोन, बड़वानी, अलीराजपुर और झाबुआ इस बार भारी बारिश की तीव्रता से बचे रह सकते हैं।

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डिस्क्लेमर: यह जानकारी स्काइमेट की पूर्वानुमान टीम द्वारा किए गए मौसम और जलवायु विश्लेषण पर आधारित है। हम वैज्ञानिक रूप से सही जानकारी देने का प्रयास करते हैं, लेकिन बदलती वायुमंडलीय स्थितियों के कारण मौसम में बदलाव संभव है। यह केवल सूचना के लिए है, इसे पूरी तरह निश्चित भविष्यवाणी न मानें।

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