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[Hindi] कपास की कीमतों में उछाल से किसान खुशहाल

April 3, 2017 7:56 PM |

Cotton cropकपास की कीमतें इस समय न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी ऊपर चल रही हैं। मीडिया में आई खबरों के अनुसार कपास की कीमतें 4060 रूपए न्यूनतम समर्थन मूल्य के मुक़ाबले डेढ़ गुना अधिक कीमतों पर बिक रही है। इस समय किसानों को अपनी अच्छी गुणवत्ता वाली कपास की कीमत 6000 रुपए से लेकर 6200 रुपए तक मिल रही है। गौरतलब है कि बीते दो वर्षों में सफ़ेद मक्खी के हमले के चलते पंजाब में कपास की फसल को व्यापक रूप में नुकसान पहुंचा था। व्हाइट फ्लाई ने कपास की फसल को कई इलाकों में बड़े पैमाने पर चौपट कर दिया था जिससे कई किसान अत्महत्या तक करने को मजबूर हुए थे।

बाज़ार विशेषज्ञों का मानना है कि कपास की कीमतें अब अपने चरम पर पहुँच चुकी हैं। कीमतों में अब बढ़ोत्तरी के आसार फिलहाल नहीं हैं। लेकिन वर्तमान कीमतों ने कपास किसानों को ना सिर्फ बड़ी राहत दिलाई है बल्कि उनका आर्थिक बोझ कम किया है। अच्छी कीमत को देखते हुए अनुमान है कि अगले सत्र में कपास की खेती का दायरा बढ़ेगा। बीते वर्ष कपास की 105 हेक्टेयर में खेती हुई थी जो औसत से कम है लेकिन इस वर्ष कपास की 120 लाख हेक्टेयर में खेती की संभावना है।

वर्ष 2016 में सामान्य मॉनसून के बाद भी कपास का उत्पादन प्रभावित हुआ था। पंजाब के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र और तेलंगाना प्रमुख कपास उत्पादक राज्य हैं और गत वर्ष का मॉनसून देश में समग्रता में भले ही सामान्य के आसपास रहा लेकिन महाराष्ट्र सहित कई कपास उत्पादक बेल्ट में बारिश का असमान वितरण रहा जिससे इसका उत्पादन प्रभावित हुआ है। बावजूद इसके इस वर्ष कपास की उत्पादकता पिछले वर्ष के मुक़ाबले बढ़ी है।

इस समय इसकी अच्छी कीमतों को देखते हुए उम्मीद है कि किसानों का कपास के प्रति रुझान फिर से बढ़ेगा और इसकी खेती का दायरा अधिक होगा। हालांकि इस बार मॉनसून के कमजोर प्रदर्शन की आशंका है जिससे कपास की खेती का दायरा भले ही बढ़े लेकिन इसकी उत्पादकता और उत्पादन दोनों प्रभावित होने का भय है। इसमें भी महाराष्ट्र में इस बार सूखे जैसे हालात अपेक्षित हैं जिससे राज्य के कपास उत्पादक किसानों को अभी से चिंता हो सकती है। यह समय संबन्धित एजेंसियों, किसान सहायक गैर सरकारी संगठनों और सरकार सबको मिलकर ऐसी योजनाएँ तैयार करने का है ताकि किसानों को किसी विषम स्थिति में सहारा मिल सके और उनके नुकसान को कमतर किया जा सके।

Image credit: Businessline

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