टाइफून ‘WIPHA’ की हलचल अब बंगाल की खाड़ी की ओर, लो प्रेशर सिस्टम बनने के आसार, इन राज्यों में भारी बारिश का खतरा
टाइफून विफा ‘WIPHA’ रविवार को हांगकांग और दक्षिण चीन के तट से टकराया। इसके बाद सोमवार को यह तेज तूफान गल्फ ऑफ टोंकिन (Gulf of Tonkin) पर पहुंचा और मंगलवार को उत्तरी वियतनाम से टकराया। जमीन से टकराव और घर्षण के कारण इसकी तीव्रता कम हो गई और यह एक ट्रॉपिकल स्टॉर्म (उष्णकटिबंधीय तूफान) में बदल गया। यह तूफान अब वियतनाम की उत्तरी सीमा को पार कर चुका है।
लाओस, थाईलैंड और म्यांमार की ओर बढ़ रहा है तूफान
तूफान अब पश्चिम की ओर बढ़ रहा है और अगले दो दिनों में लाओस, थाईलैंड और म्यांमार को पार करेगा। ‘WIPHA’ कमजोर जरूर हो चुका है, लेकिन इसका निम्न स्तरीय दबाव केंद्र (low-level circulation) अब भी बना हुआ है, भले ही उसका आकार थोड़ा बिखरा हुआ है। इसके अंदर vertical wind shear और वातावरण में बाहरी हवा के प्रवेश (entrainment) के कारण यह और कमजोर होता जाएगा। यह अब एक डिप्रेशन और फिर एक अच्छी तरह से चिह्नित निम्न दबाव क्षेत्र (Well Marked Low Pressure Area) में तब्दील हो सकता है।
24 जुलाई को पहुंचेगा बंगाल की खाड़ी में
कमजोर हो चुका तूफान विफा ‘WIPHA’ 24 जुलाई 2025 को उत्तर-पूर्वी बंगाल की खाड़ी में प्रवेश कर सकता है। वहीं पर एक निम्न दबाव क्षेत्र (Low Pressure Area) बन जाएगा, जो उसी दिन उत्तर बंगाल की खाड़ी पर स्थापित हो सकता है। इसके बाद अगले 24 घंटों में यह सिस्टम और सुसंगठित होकर एक डिप्रेशन (Depression) का रूप ले सकता है। यह मानसूनी डिप्रेशन 25 या 26 जुलाई को भारत के तटीय इलाकों को पार करेगा और फिर पूर्वी और मध्य भारत के अंदर की ओर बढ़ेगा।
23-24 जुलाई से ही शुरू हो जाएगी मौसम की हलचल
इस सिस्टम के प्रभाव से 23 जुलाई से ही मौसम की गतिविधियाँ शुरू हो जाएंगी और 24 जुलाई को बारिश, आँधी और तेज हवाएं अधिक तेज हो जाएंगी। इस दौरान ओडिशा, पश्चिम बंगाल, उत्तर तटीय आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, पूर्वी मध्य प्रदेश, विदर्भ और उत्तर तेलंगाना में बारिश और गरज-चमक के साथ बौछारें हो सकती हैं। इस सिस्टम के चलते पूरब, मध्य और उत्तर भारत में बारिश धीरे-धीरे और क्षेत्रों के अनुसार फैलेगी।
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आगे की भविष्यवाणी पर रहेगी नजर
इस तरह के सिस्टम के ट्रैक और समय-सीमा की सटीक जानकारी 4 दिनों से अधिक आगे बढ़ने पर कमजोर हो जाती है। इसलिए मौसम विभाग इस सिस्टम की गतिविधियों पर करीब से नजर रखेगा और समय-समय पर भविष्यवाणी को अपडेट करता रहेगा। जैसे ही उत्तर बंगाल की खाड़ी में यह लो प्रेशर एरिया पूरी तरह विकसित हो जाएगा, उसके बाद ही सटीक ट्रैक और प्रभाव की पुष्टि की जा सकेगी।







